कोरोना संकट के दौर में वैश्विक स्तर पर हालात काफी बदले हैं. खासकर चीन की आक्रामक नीति को लेकर. चीन की आक्रामकता की सिरदर्दी तो थी ही, इस बीच रूस के यूक्रेन पर हमले ने हालात और खराब कर दिए. ऐसे में भारत एक ताकतवर देश के रूप में उभर रहा है.
भारत अपनी आजादी के 75 साल पूरा कर रहा है और इन 8 दशक की आजादी में हमारे देश ने काफी उतार-चढ़ाव देखा है. हजारों लोगों की शहादत और लंबे संघर्ष के बाद हमारे देश ने 1947 में आजादी हासिल की, हालांकि यह आजादी आसान नहीं रही, हमें बंटवारे का दंश का सामना करना पड़ा. धीरे-धीरे वक्त का पहिया चलता रहा और देश एक तरह से शून्य से आगे बढ़ते हुए आज दुनिया के शक्तिशाली देशों में शुमार हो गया है. आज भारत न सिर्फ एशिया बल्कि पूरी दुनिया में अपनी ताकत इस कदर बढ़ा ली है कि अमेरिका भी भारत का साथ लिए बगैर आगे नहीं बढ़ने की नहीं सोच सकता.
भारत की उभरती ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, जब 24 फरवरी को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ जंग का ऐलान किया तो पूरी दुनिया अमन चैन की बात करने लगी. सबकी नजरें भारत पर टिक गई थीं. युद्ध शुरू होने के बाद महीनेभर के अंदर कई देशों के विदेश मंत्रियों ने नई दिल्ली का दौरा किया. इसमें अमेरिका के कई शीर्ष स्तर के नेता भी शामिल रहे.
दुनिया में बढ़ रही भारत की चमक
मार्च महीने में ऑस्ट्रिया और ग्रीस के विदेश मंत्रियों के भारत दौरे के बाद अमेरिका की राजनीतिक मामलों की उपविदेश मंत्री विक्टोरिया नुलांड भी नई दिल्ली के दौरे पर आई थीं. यही नहीं अमेरिका के डिप्टी एनएसए दलीप सिंह भी इस दौरान आए थे. इस दौरान 25 मार्च को चीन के विदेश मंत्री वांग यी भी अपने अप्रत्याशित दौरे पर भारत आए थे. लंबे समय बाद चीन के किसी शीर्ष नेता की यह पहली भारत यात्रा थी. फिर रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भी नई दिल्ली का दौरा किया. अपने 2 दिवसीय दौरे के दैरान उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात भी की.
यही नहीं ब्रिटेन की विदेश मंत्री एलिजाबेथ ट्रस भी मार्च में भारत आई थीं. मैक्सिको के विदेश मंत्री मार्सेलो एब्रार्ड कैसाबोन ने भी इस दौरान भारत का दौरा किया था.
ये एक उदाहरण है कि भारत की अहमियत पिछले कुछ सालों में खासी बढ़ी है. रूस-यूक्रेन जंग के दौरान दुनिया ने इसे बखूबी देखा. पिछले ढाई साल से दुनिया कोरोना महामारी का दंश झेल रही है और इस दौरान नई दिल्ली ने दुनियाभर में वैक्सीन के अलावा मास्क, पीपीई किट आदि जरूरी चीजें मदद के तौर पर भेजे थे. हालांकि एक सच्चाई यह भी है कि कोरोना संकट की शुरुआत से पहले मास्क, पीपीई किट और अन्य जरुरी मेडिकल वस्तुओं के उत्पादन और उपलब्धता में भारत की स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी, लेकिन जल्द ही देश इस स्थिति में आ गया कि वह दुनियाभर को ये चीजें भेजने में सक्षम हो गया.
कोरोना संकट में भारत ने जमकर की मदद
20220 में कोरोना संकट के पहले साल में जब दुनिया महामारी से जूझ रही थी तब उस दौर में भी भारत अपनी एक अलग छाप छोड़ने में कामयाब रहा. दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश होने के बावजूद भारत ने बेहतर कोविड प्रबंधन के रूप में एक मिसाल कायम की. उसने संकट के दौर में पड़ोसी देशों के अलावा अन्य देशों को भी मदद पहुंचाई. पिछले साल जी-20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड की भूमिका निभाते हुए भारत ने 150 से ज्यादा देशों को दवाइयां पहुंचाई.
कोरोना संकट से पहले और बाद में वैश्विक स्तर पर हालात काफी बदले हैं. खासकर चीन की आक्रामक नीति को लेकर. चीन की आक्रामकता की सिरदर्दी तो थी ही, इस बीच रूस के यूक्रेन पर हमले ने हालात और खराब कर दिए. इस बीच भारत भी एक ताकतवर देश के रूप में उभर रहा है. जी-7 हो, जी-20 हो, क्वाड हो, आसियान हो या फिर संयुक्त राष्ट्र संघ. हर जगह भारत अब अपनी धमक के साथ बात रखता है.
अमीर देशों में भी भारत की बनी पहचान
बात पहले जी-7 की करते हैं. पहले इसे जी-8 कहते थे क्योंकि तब रूस भी इसका सदस्य था. लेकिन रूस ने 2014 में यूक्रेन के ब्लैक सी के पास क्रीमिया पर कब्जा कर लिया, जिसके बाद उसे ग्रुप से बाहर कर दिया गया, और अब इसे जी-7 के नाम से जानते हैं. भारत इस संगठन का सदस्य नहीं है, लेकिन पिछले कुछ सालों में जी-7 शिखर सम्मेलन में शामिल होता रहा है. जर्मनी के म्यूनिख में 26 जून से शुरू हुए शिखर सम्मेलन में पीएम नरेंद्र मोदी ने हिस्सा लिया था.
एक अन्य अहम संगठन है जी-20. ताकतवर वैश्विक संगठन का भारत इस साल के अंत में अध्यक्ष बनने वाला है. पिछले साल अक्टूबर में इटली के रोम यह शिखर सम्मेलन हुआ था. इस साल यह शिखर सम्मेलन इंडोनेशिया में आयोजित होगा. फिर अगले साल 2023 में भारत इसकी मेजबानी करेगा. यह सम्मेलन दिल्ली के प्रगति मैदान में होगा.
भारत 1999 में इस संगठन का सदस्य है, वह इस साल 1 दिसंबर को जी-20 का पहली बार अध्यक्ष बनेगा. जी-20 संगठन में संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और यूरोपीय संघ के अलावा ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, जर्मनी, फ्रांस, भारत, अर्जेंटीना, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया और तुर्की शामिल हैं.
हाल के दिनों में दुनिया में सबसे ज्यादा चर्चा क्वाड की रही, क्योंकि इस संगठन का गठन चीन को चारो ओर से घेरने को लेकर किया गया है. भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इस संगठन के सदस्य है, चीन इस ग्रुप से खुन्नस खाता है. क्वाड का मतलब होता है क्वाडिलैटरल सिक्योरिटी डॉयलॉग.
इस साल मई में टोक्यो में क्वाड नेताओं का शिखर सम्मेलन हुआ था, जबकि इससे पहले मार्च में क्वाड नेताओं ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए आपस में मुलाकात की. फरवरी में ही क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की चौथी बैठक भी आयोजित की गई. चीन का मानना है कि क्वाड के रूप में एशिया के भीतर नैटो जैसा समूह बना दिया गया है. प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं आज ‘क्वाड’ का दायरा व्यापक हो गया है और इसका स्वरूप प्रभावी हो गया है.
UNSC में पहली बार बना अध्यक्ष
इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की स्थायी सदस्यता का कई देश खुलकर समर्थन करने लगे हैं. हालांकि भारत अभी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का दो साल के लिए अस्थायी सदस्य है. अमेरिका, चीन, ब्रिटेन, रूस और फ्रांस इसके स्थायी सदस्य हैं.
भारत पिछले साल अगस्त में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष भी बना था. तब संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने भारत के यूएनएससी की अध्यक्षता मिलने पर कहा था, “75 से ज्यादा सालों में, ये पहली बार है, जब हमारा राजनीतिक नेतृत्व यूएनएससी के किसी कार्यक्रम की अध्यक्षता करेगा. ये दिखाता है कि नेतृत्व फ्रंटफुट से नेतृत्व करना चाहता है. यह ये भी दर्शाता है कि भारत और उसका राजनीतिक नेतृत्व हमारी विदेश नीति को लेकर गंभीर है.”
इसी तरह भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने भी यूएनएससी की अध्यक्षता मिलने पर कहा था, “यह बहुत बड़ा सम्मान है. अगस्त महीने में यूएनएससी की अध्यक्षता हमारे पास है और इसी महीने हम अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहे हैं.”
देश आज आजादी के 75 साल पूरे होने पर अमृत महोत्सव मना रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना आजादी के 100 साल पूरे होने तक यानी 2047 तक भारत को विश्वगुरु बनाने का है. आज भारत के बिना दुनिया के सबसे अमीर देशों की बैठक पूरी नहीं होती. अगले 25 साल देश के लिए बेहद अहम हैं क्योंकि कई तरह की नई चुनौतियां का सामना करते हुए हमें आगे बढ़ना होगा. देश का अगला लक्ष्य खुद को विकसित राष्ट्र के रूप में तैयार करना होगा.